शारदीय नवरात्र में कब क्या करें ?
नवरात्रारम्भ (7 अक्तू., गुरुवार, 2021 ई.) से हो रहा है। इसी दिन कलशस्थापन पूर्वक (7 अक्तूबर, 2021 ई. को लुधियाना में प्रात:काल 6:27 से 10:28 तक अथवा अभिजित् मुहूर्त (11:52 से 12:38 PM तक) में ही नवरात्रारम्भ, घटस्थापन, दीपपूजन आदि कर लेने चाहिये।। नवरात्रि का व्रत प्रारम्भ करना चाहिये। चतुर्थी तिथि का क्षय होने से तीसरा एवं चौथा नवरात्र एक ही दिन होने से 8 दिनों का नवरात्रि पर्व होगा।
कलशस्थापन का मुहूर्त विचार -
शास्त्रानुसार सूर्योदय बाद 10 घड़ी (4 घंटे ) तक या मध्याह्न-काल में अभिजित् मुहूर्त (दिन के अष्टम मुहूर्त) के समय आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में नवरात्रारम्भ व कलशस्थापन किया जाता है। प्रतिपदा की पूर्ववर्ती 16 घड़ियां तथा चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का पूर्वार्द्ध भाग नवरात्रारम्भ के लिए निषिद्ध है। यदि नवरात्रारम्भ हेतु यह ग्राह्य-काल पूरी तरह दूषित हो, तो इसकी परवाह न करते हुए इस दिन दूषित-काल में नवरात्रारम्भ, कलश-स्थापन कर लेना चाहिये। क्योंकि शास्त्रानुसार जहाँ तक सम्भव हो, इन दोषों से बचना चाहिये। यदि इनका त्याग करना सम्भव न हो, तो इनके दूषित काल में ही निर्धारित-काल (अर्थात् प्रथम 10 घटियों या अभिजित् मुहूर्त) में घटस्थापन, पूजादि कार्य कर लेने चाहिये।।
"एवं च प्रतिपद्-आद्यषोडशनाड़ी-निषेधश्चित्रा-वैधृतियोग-निषेधश्च उक्तकालानुरोधेन सति संभवे पालनीयो न तु निषेधानुरोधेन पूर्वाह्न: प्रारम्भकाल: प्रतिपत्तिथितिर्वाक्रमणीय:।।'
इस वर्ष यही स्थिति घटित हो रही है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 7 अक्तूबर, 2021 ई. के दिन चित्रा नक्षत्र का पूर्वार्द्ध प्रातः 10 घंटे 17 मिनट तक तथा वैधृति-योग का पूर्वार्द्ध 15 घंटे 25मिनट तक है। यहाँ ( लुधियाना में ) अभिजित् मुहूर्त 11:50 से 12:36 PM तक है। स्पष्ट रूप से यहाँ चित्रा एवं वैधृति योग के पूर्वार्द्ध ने प्रतिपदा की सूर्योदयानन्तर की 10 घड़ियां (4 घण्टे) तथा अभिजित् मुहूर्त का पूरा काल दूषित कर रखा है।
इस स्थिति में उपरोक्त शास्त्रनिर्देश अनुसार अशुभ नक्षत्र-योग होने पर भी उनकी उपेक्षा कर इसी दिन (7 अक्तूबर, 2021 ई. को ही) लुधियाना में प्रात:काल 6:27 से 10:28 तक अथवा अभिजित् मुहूर्त (11:52 से 12:38 PM तक) में ही नवरात्रारम्भ, घटस्थापन, दीपपूजन आदि कर लेने चाहिये।।
दुर्गा जी वाहन विचार -
7 अक्टूबर को गुरुवार होने से दोला ( डोली, पालना) पर आगमन होगा। जिसका फल जनता में मृत्युभय (जनहानि) होता है। 15 अक्टूबर को विजयादशमी है। इस दिन दुर्गा जी का विदाई (गमन) होता है। इस दिन शुक्रवार होने से हाथी पर विदा होती है। जिसका फल शुभ वृष्टि बताया गया है। अर्थात अच्छी वर्षा होने से किसान खुशहाल होंगे।।
नवरात्रि में कन्यापूजन का विचार-
नवरात्रि में अष्टमी एवं नवमी में कन्या पूजन करना चाहिये। इस वर्ष 13 अक्टूबर को दुर्गाष्टमी एवं 14 अक्टूबर को महानवमी है। अतः दोनों दिन कन्यापूजन किया जा सकता है। नवरात्रि व्रत का पारण 15 अक्टूबर दशहरा को प्रातःकाल करना चाहिये। अधिकतर लोग कन्यापूजन के बाद स्वयं भी पूरी-चने इत्यादि खा लेते है। ऐसा नही करना चाहिये। इससे व्रत खंडित हो जाता है। कन्यापूजन के बाद स्वयं उपवास या नियम में ही रहना चाहिये। दशहरा के सुबह पारण करके व्रत खोलना (पूर्ण) चाहिये।।
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